पतझड़ के बाद(भाग 2)
पिछले अंक से आगे.....
शोभा जी से आनंद जी की तबियत के बारे में जानने के बाद वॉक के बाद सभी मित्र उनके घर गए। आनंद जी शोभा जी के व्यवहार की तारीफ कर रहे थे और उनके प्रति उनके बेटों के व्यवहार की निंदा कर रहे थे।
आनंद जी के बेटे राहुल को तबियत का पता चला तो वो बहू मोना के साथ शाम को मिलने आये, कोई जरूरत हो तो बताने का बोलकर चले गए। कमल जी आनंद जी के घर के पास रहते थे इसलिये वही उनकी जरूरतों का ध्यान रख रहे थे।जब अगली सुबह वो आनंद जी के पास गए तो उन्हें फिर से तेज बुखार था । राहुल को फोन किया गया और उन्हें जल्दी पास के हॉस्पिटल ले गए। icu ने भर्ती कर उपचार शुरू हुआ।
बेहोशी की हालत में वो बार बार शोभा जी का नाम पुकार रहे थे। शोभा जी की ओर उनके इस प्रकार हो रहे झुकाव के लिए सभी मित्र चिंतित थे क्योंकि उन दोनों के बीच के अनकहे रिश्ते की आहट से वो सब अंजान नही थे । परिस्थिति देखकर रमेश जी ने राखी से कहा मैं शोभा जी को लेकर आता हूं। आनंद भाई याद कर रहे उन्हें।
थोड़ी देर बाद राहुल परवेज भाई के पास आकर बोला –अंकल ये शोभा जी कौन है , डैड जिसका नाम ले रहे हैं।
परवेज भाई ने बताया कि शोभा जी हमारे लॉफिंग क्लब की मेंबर हैं।सुनकर राहुल का रिएक्शन भी शोभा जी के बेटो से अलग नही था । वह चिड़ गया।
उधर शोभा जी अपने घर के मंदिर में सूनी आँखों से श्री राम की प्रतिमा की ओर देख रही थी,मानो कई प्रश्नों के उत्तर मांग रही हो।
अतीत की कई बातें उनकी आँखों में नमी दे गई।गोविंद जी ने उनको कभी किसी चीज का मोहताज नही रखा,सिवाय प्रेम और सम्मान के।विवाह के कुछ दिन बाद ही शोभा जी का अपने पति के दबंग स्वभाव से परिचय हो गया था।सीधी और समझदार शोभा जी ने उन्हें उसी रूप में प्रेम किया।परन्तु रूप और गुण में कोई कमी न होने के बाद भी गोविन्द जी से उन्हें तिरस्कार ही मिला।दो बेटों के जन्म के बाद तो शोभा जी को उपेक्षित रहने की आदत सी हो गई।पर मन से पति के प्रति प्रेम कम नही हुआ।वो हमेशा एक समर्पित पत्नी बनी रही।उनके बिना अपना अस्तित्व शून्य ही पाती।बेटे भी अपने पिता के समान ही हठी थे। बहुएँ भी सिर्फ औपचारिक सम्मान ही देती थी।किसी ने कभी उनके मन को समझा ही नही।हमेशा तकलीफ थी अपने मन की बातें अपने विचार किसी से न कह पाने की,न पति ,न बेटे और न बहुएँ किसी ने उनके आँखों की उदासी और मन के खालीपन को नही पढ़ा।
पर आनंद जी .... हां आनंद जी ने उनकी आँखों की उदासी को पढ़ लिया। उसने टालने की भी कोशिश की कि कुछ नही हुआ आपकी गलतफहमी है,मैं उदास नही तो उन्होंने बताने के लिये कोई दबाव नही डाला लेकिन उसके मन बहलाने को न जाने कितने लतीफे सुनाए और आखिर वो हँस पढ़ी थी।और बहुत देर तक हंसी । हंसते हंसते रो दी थी और आंसुओ के साथ मन का बोझ भी उतर गया था।उस दिन के लतीफों को याद करके शोभा जी के आँखों में आंसू और चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई।तभी बाहर कॉलबेल बजी, तो वो भी आगन्तुक को देखने गई।
रमेशजी को देख वह कुछ बोलती इससे पहले वो बोल पड़े कि आनंद जी हॉस्पिटल में है और उन्हें याद कर रहे ,यह बातें उनकी बहुओं ने भी सुन ली पर शोभा जी रमेश जी के साथ हॉस्पिटल के लिये निकल गई।
राहुल अपने घर में आकर पत्नी मोना से हॉस्पिटल के सारे हाल बताया और बताया कि कैसे पापा किसी शोभा नाम की औरत का नाम ले रहे थे,इस उमर में न जाने क्या सूझ रहा है।
क्रमशः ......
✍️प्रीति ताम्रकार
जबलपुर
Fauzi kashaf
02-Dec-2021 11:14 AM
Nice
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Zaifi khan
01-Dec-2021 09:27 AM
V good
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Hayati ansari
29-Nov-2021 09:53 AM
Good
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